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Sufi Ghazal 8


अपनी मुहब्बत से, मेरे दिल को पाक कर दे तेरी शौक़ ए दीद में, ये सीना चाक कर दे ॥
किसे तलब ए जन्नत है, शराबो हूर कि ख़ातिर कब्र ए आशिक़ को, तैबा की ख़ाक कर दे ॥
जिसको जिसको पर्दे में तेरे हुस्न का दीदार हुआ मुझे सिर्फ़ तसव्वुरे तजल्ली से हलाक कर दे ॥