Ghazal 31 - किसे बताऊँ की इस दिल का हाल क्या है
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Ghazal 31 - किसे बताऊँ की इस दिल का हाल क्या है

किसे बताऊँ की इस दिल का हाल क्या है ख़ुद ही किया फ़ैसला फिर मलाल क्या है ।।
तरीक़ ए फ़ैसला, बा दिमाग़ रहा, अमली हमेशा जो दाखिल हो दिल, फिर देख जाल क्या है ।।
मुस्तक़बिल तो है, अर्श ए मोअल्ला पे महफ़ूज़ जो है मौजूदा, बता उसपे तेरा आमाल क्या है ।।
कल तक तो तू, उरूज ए ला ज़वाल का हामी था आज निगाह ए तुलु ए शम्स पे, ये ज़वाल क्या है ।।
क्यों नहीं सीखी, ज़माने की बर्बादी से तूने हिकमत अब ना कर शिकायत मुझसे, के ये वबाल क्या है ।।
उसकी तस्वीर बनी है, सीरत ओ आदत ओ अल्फ़ाज़ से जो लग भी जाये उसपे चेहरा, फिर विसाल क्या है ।।
तू कैसे याद करेगा उसे, जिसे कभी भुला ही नहीं फिर ये लम्हा लम्हा, रह रह कर, ख़्याल क्या है ।।
तुझे तो पता था कि, ये सीरात ए दर्द ओ अज़ा है “अब्दाल” फिर इस तोहफ़ा ए इश्क़ पे, नदामत ए सवाल क्या है ।।