कहाँ कहाँ से उसने उसे, छुआ होगा
जब शाम ढली होगी तो क्या हुआ होगा ॥
जो फ़रिश्ते हैं “समझ” के ख़ामोश रहें
“शायद” दोनों रूह, जिस्म एक हुआ होगा ।।
ऐ शमा ना मिटा ख़ुद को, परवाने की गिर्द कसर
यहाँ तू नेस्त हुआ, कोई और शबे परवाना हुआ होगा ॥
तेरा रक़्स ए नूर, रोशनी के हुज़ूर क़ाबिल नहीं
ऐ जुगनू, तेरी ही फ़िक्र ए कुर्ब में धुँआ होगा ॥