हूँ निर्भीक मैं, डरा नहीं, अब भी बचा उबाल है
ए ज़िंदगी, तैयार रह, तुझसे कई सवाल है ॥
कैसा है तेरा दामन, भरा इतना वबाल है
तारीख़ों की गवाही है, ज़माना तुझसे विसाल है ॥
आ मैदान-ए-जंग में, बता क्या ख़्याल है
फतह तो शर्तें मेरी, हारा तो ज़वाल है ॥
तुझे ना ठुकरा सके, अजब तेरा कमाल है
है कल्ब ज़ख़्मी तो क्या, तुझी से तो निहाल है।
मौजूद सिर्फ़ दाग़ नहीं, कुछ तुझमें भी जमाल है
ऐ माशूक़, सुन ले ध्यान से, बहुत हुआ मलाल है ॥
छोड़ूँगा तुझे ऐसे, की दुनिया देगी मिसाल है
ख़ुदकुशी का नहीं इख़्तियार, नहीं ये हलाल है ॥
वरना तू जो है वो है, मुझमें मेरा हिमाल है
यूँ छोटा ना आंकना मुझे, मेरी जुर्रत विशाल है॥
रखता हूँ ज़िंदगी तर्ज़ पे, हर घड़ी इंतेकाल है
इनायतें महबूब ए किबरिया, रंग-ए-बिलाल है ॥
साक़ी हूँ मैं कलम का, सैय्यदी जलाल है
ये नक्काशियाँ दिलों की, उकेरता “अब्दाल” है ॥