Ghazal 19 - तुझसे हर सवाल का जवाब मांगूंगा,
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Ghazal 19 - तुझसे हर सवाल का जवाब मांगूंगा,


तुझसे हर सवाल का जवाब मांगूंगा, तुझसे इश्क़ हो फिर से, अज़ाब मांगूंगा ||
आम हैं किस्से मिल कर बिछड़ जाने के, कुछ नुमाइश हो, अंजाम नयाब मांगूंगा ||
जो उजाला था, धोखे ने नाबीना बना दिया, अब ना कर पाए रोशन, वो आफताब मांगूंगा ||
तेरी चिकनी लालियाँ, चीख कर कहती हैं मुझसे जो बदसूरत हो करीब से, वो मेहताब मांगूंगा ||
ये गरीबी, ये मुश्किल, ये तरीका-ए-कार मेरा, जो वलवला-ए-ज़माना हो जाऊं, वो आदाब मांगूंगा ||
मेरा नज़रिया-ए-शफ़क़त कैद है परों को तेरे हो दरख़्त तेरी ख्वाहिश का, वो बाग शदाब माँगूँगा ॥
जिस जिस लफ़्ज़ ने काटा है तुझे धीरे धीरे “अब्दाल” हर नुक़्ते पे होगी जंग, हर जवाब मांगूंगा ||