तुझसे हर सवाल का जवाब मांगूंगा,
तुझसे इश्क़ हो फिर से, अज़ाब मांगूंगा ||
आम हैं किस्से मिल कर बिछड़ जाने के,
कुछ नुमाइश हो, अंजाम नयाब मांगूंगा ||
जो उजाला था, धोखे ने नाबीना बना दिया,
अब ना कर पाए रोशन, वो आफताब मांगूंगा ||
तेरी चिकनी लालियाँ, चीख कर कहती हैं मुझसे
जो बदसूरत हो करीब से, वो मेहताब मांगूंगा ||
ये गरीबी, ये मुश्किल, ये तरीका-ए-कार मेरा,
जो वलवला-ए-ज़माना हो जाऊं, वो आदाब मांगूंगा ||
मेरा नज़रिया-ए-शफ़क़त कैद है परों को तेरे
हो दरख़्त तेरी ख्वाहिश का, वो बाग शदाब माँगूँगा ॥
जिस जिस लफ़्ज़ ने काटा है तुझे धीरे धीरे “अब्दाल”
हर नुक़्ते पे होगी जंग, हर जवाब मांगूंगा ||