Ghazal 06 - जिसकी मुहब्बत दुनिया में कम मशहूर है
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Ghazal 06 - जिसकी मुहब्बत दुनिया में कम मशहूर है


जिसकी मुहब्बत दुनिया में कम मशहूर है मुन्नवर है जो तेरी पेशानी पे, ये वही नूर है ॥
दिल के साथ रखता है दिमाग़ में भी, तभी खड़ी दस्तबसता दुनिया तेरे हुज़ूर है ॥
दम ब दम है तेरा, या कोई सहारा है तेरी कामयाबी के पीछे उसका फ़ितूर है ॥
मैं ईदैन का बेसब्री से करता हूँ इंतज़ार गले मिलने का तरीक़ा उनसे, यही मंज़ूर है ॥
ग़र माँ के क़दमों में जन्नत रखी रब ने तो इन्हें बनाया रब ने बसिफ़त ए तूर है ॥
कभी ना कहना कि क्या किया है मेरे लिये तू ना समझ सका, ये सिर्फ़ तेरा क़ुसूर है ॥
शफ्क़त ज़ाहिर करने में वह बड़ा दूर है “अब्दाल” तभी तो उसकी मुहब्बत ज़माने में कम मशहूर है ॥