हाँ, अब वो मेरे साथ नहीं है
ये तो कोई ग़म की बात नहीं है ||
हाँ, थोड़ा सफ़र मुश्किल होगा ज़ुरूर
के अब मेरे हाथ में उसका हाथ नहीं है ||
थोड़ी तन्हाई सताये तो क्या मुआमला
याद तो है, सिर्फ़ मुलाक़ात नहीं है ||
मेरा तसव्वुरे “हम”, महफ़ूज़ है अफ़सोस
इस धागे में अब उसकी ज़ात नहीं है ||
जज़्बातों को लफ़्ज़ों में पिरो सकूँ मैं
ऐसी बनी अभी कोई लोगात नहीं है ||
कलम थामे देख, घूरता है काग़ज़ मुझे
तेरे काजल की स्याहि की दवात नहीं है ||
बासुकून गुज़रता है दिन “अब्दाल”
अफ़सोस, के क़ब्ज़े में सिर्फ़ रात नहीं है ||