Sher
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ONE COUPLET SHAYARI
Couplet 1
काश के मैं अपने ज़ख़्म, रफू कर पाता आँसुओं से इन ग़मों का वूज़ू कर पाता ॥
Couplet 2
शौक दीद में इबादत करता रहा वजह इबादत ख़ालिस ना रही
Couplet 3
गुनाहों के सिलसिले ने, मुरत्तब ये असर किया मूसल्ला ख़रीदा, तौफ़ीक़ ए सजदा सिफ़र किया ||
Couplet 4
हक़ीक़त ने ख्वाब से की ताबीर दरयाफ़्त, क्या लुत्फ था, नाबीना दुनिया देखने में
Couplet 5
नामुमकिन है, तुम मुमकिन हो जाओ, जो मैं बनूँ रात, तुम दिन हो जाओ ||
Couplet 6
ये तहज़ीब इश्क़ भी, बड़ा बदतमीज़ है सिवा माशूक़ के, और किसी की ताज़ीम नहीं ||
Couplet 7
क्या अज़ाबे जहन्नुम, तेरे गोशा ज़हन में है अज़ाब तो ये है के, जन्नत हो लेकिन यार नहीं
Couplet 8
हम कुल समंदर जज़्ब कर बैठे हैं, वो चंद आँसू ना रोक सके थे इल्ज़ाम कई ज़ेहन में, हम एक पे भी ना टोक सके ||
Couplet 9
जो मयारे खुश सुखन था खत्म हो गया, आप से तुम, तुम से तू चलन हो गया
Couplet 10
जो क़ाबिल ए ईमान नहीं तो वुजूद क्या जो नीयत ए सजदा नहीं तो सुजूद क्या ।
Couplet 11
दुनिया रोई है मसाइल पे, तू मुझे मुहब्बत में रुला पहले दावा ए इश्क़ कर, फिर वफ़ा से मुकर जा
Couplet 12
तू ख़ूबसूरत नहीं तो क्या, ख़ूबसीरत तो है
वो बदसूरत नहीं तो क्या, बदसीरत तो हैं
Couplet 13
एक कून पे क़ायम दुनिया, एक कून पे फ़ना होती है इंसाँ बर्बाद खुद नहीं होता, ख़ालिस उसकी अना होती है
Couplet 14
शमा से कहो, परवाने की ताज़ीम करे बिना आशिक़ के, माशूक़ की औक़ात नहीं
Couplet 15
जब कुछ कह नहीं पाता, तो कलम उठा लेता हूँ दवा है ये के, दिल से सारे अलम उठा लेता हूँ
Couplet 16
जितनी पड़ी नरमी उतने हम सख़्त हो गए थे मुस्तकीम सिरात पे, बेकार बदबख़्त हो गए
Couplet 17
तुझसे मुख़ातिब इन आँखों ने अस्तगफ़ार कर लिया तुझसे इश्क़ करके हमने ख़ुद को बर्बाद कर किया
Couplet 18
इन अज़ीयतों का सिलसिला कब दफन होगा कहीं सोज़--हयात, कहीं कफन होगा
Couplet 19
हमारी मुलाक़ात महज़ इत्तिफ़ाक़ नहीं ये मुहब्बत है मेरी, कोई मज़ाक़ नहीं
Couplet 20
तेरे इश्क़ ने, मोहज़्ज़ब बना दिया वरना हम भी, मुजरिम मशहूर थे
Couplet 21
गर तू कहे के सिर्फ़ मैं ही अकेला नहीं, तेरी ज़िंदगी में आ कुछ भीड़ इकट्ठा कर लें, धोके का सामाँ करने को
Couplet 22
तू वो अहम हिस्सा के मिटाया नहीं जा सकता तू वो क़िस्सा है के, सुनाया नहीं जा सकता
Couplet 23
लफ़्ज़ों की नहीं, तलवारों की धार कहें इसे दिल में जाए, या उतर जाने का मयार कहें इसे
Couplet 24
वाहिद आतिशबाजीं को हय्यत नहीं इन दानों में तलबे फूलझड़ी हैं ये, अपनी बक़ा की ख़ातिर
Couplet 25
हमारी आँखें मिली तो मानो चूम लिया उसने वरना होंठों से होंठ मिलाना बड़ा गीला सौदा है
Couplet 26
मैं नाफिस हो जाऊँगा, तुम क़ानून तो बनो मैं सुकून हो जाऊँगा, तुम जुनून तो बनो ॥
Couplet 27
तेरी मुहब्बत में ना जाने, कितनी प्यास झेली हमने कोई तेरा हुस्न तो पिला दे, इफ़्तार की ख़ातिर
Couplet 28
इश्क़ जो नफ़ली मस्ती है माश की, बेफिक्र लोग करें हमपे हैं घर की ज़िम्मेदारियाँ, हम फ़र्ज़ निभाते हैं
Couplet 29
मैं पलकें झपकते सो गया था, उसकी यादों में खो गया नींद होश में लाती है इंसान को, मैं ख़्वाब में मदहोश हो गया
Couplet 30
सुनो मुझे और ज़लील करो, थोड़ा और क़लील करो जब कर लो मेरा क़त्ल, मुझे क़ातिल, मुझे ही वकील करो
Couplet 31
शबो रोज़ ये हिमायत हुई गुनहगारों की, दबो सोज़ क़यामत हुई हक़लाचारों की
Couplet 32
जो अमलपैरा हों, ऐसे क़वानीन की गुज़ारिशें थी, तेरी ज़ुम्मदारी है के, क़ानून से इंक़िलाब लाया जाए
Couplet 33
मैं बेपरवाह हो जाऊँगा, तू मुहब्बत दिखा तो सहीं कुल मुहब्बत तेरी होगी, मुझे परवाह सिखा तो सहीं
Couplet 34
जो चेहरे पे ये अफसूरदगी मुनव्वर है ये हक़ीक़त है के ख़ालिस मेरा डर है ॥
Couplet 35
ये इमकान है के हम तेरे इश्क़ में सर हो जाएँ महलों की आमोज़िश में रहें, या दर दर हो जायें ॥
Couplet 36
उसके ख्वाबों के आगोश में सो जाएंगे मेरे दर्द आज नहीं तो कल खो जाएंगे
Couplet 37
आग को अपने वजूद से कभी गर्मी नहीं होती जो हो जाए सख़्त दिल फिर नरमी नहीं होती
Couplet 38
बड़ी अचरज है के इस्लाम में तकसीम है अशरफ़ ता असलज, ये कौन सा मीम है
Couplet 39
उसे देख कर, मैंने ख़ुद को माना कर दिया जितनी थी अना, सब फना कर दिया
Couplet 40
के अब दर्द ए नज़ा क़ुबूल है लेकिन फ़िक्र ए रक़ीब नहीं

TWO COUPLET SHAYARI
Couplet 1
ये जो रास्ते तेरे घर को जाता है ये कैसे कभी सुकून पाता है ?
तेरे क़दमों को जब चूमती है ज़मीं आसमाँ गरजे बिना कैसे रह पाता है ?
Couplet 2
ज़माने ने देखा के इश्क़ में इंसान कायर हो गया मेरे जज़्बात सच्चे थे, मैं सिर्फ़ शायर हो गया ॥
मैं शिकायत कर ना सका तुमसे इहतराम में ये अशआर ज़रिया हैं के, मुक़द्दमा दायर हो गया ॥
Couplet 3
वो फ़क़त मेरा ग़ुरूर नहीं, कुछ बात उसमें भी है वो सारा नूर शबाब नहीं, कुछ रात उसमें भी है ।।
मुनव्वर करे जो बिछड़न, मेरे जहान ए क़ल्ब को सिर्फ़ मैं बेचैन नहीं, कुछ वफ़ात उसमें भी है ।।
Couplet 4
जिस फ़ानी जिस्म की गर्मी, तुझे मुहब्बत लगती है अहले ला शऊर को यही, सही फ़ितरत लगती है ||
मुसाफ़िर ए इश्क़ से पूछो के अस्ल ख़ूबसूरती क्या है कुछ रूह, कुछ उनके आँचल की सोहबत लगती है ||
Couplet 5
तेरी रोशनी जग उजाला करेगा तू अंधेरों में जल तो सहीं
हर मंज़िल, हर मक़सद होगा फ़तह तू हिम्मत कर चल तो सहीं
Couplet 6
शक और शुबाह से दूर, मैंने सच्ची मुहब्बत की है ख़ुद से दूर जाकर, उनकी ओर अपनी रगबत की है ॥
कोई उनकी क़ीमत क्या लगाए, माँगा है उन्हें रब से उन्हें उनका इश्क़ मिल जाए, दुआ की हिम्मत की है ॥
Couplet 7
मेरी मुहब्बत वतन चीख उठी सबूत देते देते के दस्तावेज़ों ने मेरी वतन परस्ती परखनी है
पाँच वक़्त चूमता हूँ ज़र्रे वतन इबादत की तरह आज उसी इबादत की तुम्हें क़ीमत परखनी है
Couplet 8
तजुर्बों की भट्टी में जला हूँ मैं ज़िम्मों के रास्ते चला हूँ मैं ॥
बूढ़ा कहा मेरे नज़रियों को उन्होंने अपनी उम्र से बहुत बड़ा हूँ मैं ॥
Couplet 9
इन खुली जुल्फों को यूँ सवारा न करो लटों को पेशानी पे यूँ आवारा न करो
क़ल्ब-ए-बेसाख़्ता को, निगाहें काफ़ी हैं यूं इन अदाओं से अब मारा न करो
Couplet 10
मैंने उनको तस्वीरें कुल जला दीं अफ़सोस, नक़्श ए यार ना भूला ।।
मैं ख़ुद, मैं ना रहा, नज़रों में मुझसे उनका इनकार ना भूला ।।
Couplet 11
रात में दिन और दिन में रात याद आती है जो उसने ना कहा, वो भी बात याद आती है
मैंने तो सिर्फ़ तस्वीरों में देखा है उसे, फिर कैसे ख़्वाबों में मुलाक़ात याद आती है
Couplet 12
मुहब्बत की शीशी में ज़हर बेचने आया हूँ जिसकी न हो सुभ वो पहर बेचने आया हूँ फ़लसफ़ा ए इश्क़ बड़ा महँगा पड़ा मुझे उसी इल्म ए बर्बादी का मैं क़हर बेचने आया हूँ
Couplet 13
वो मुझसे मुहब्बत करता है, मैं किसी और से ये निसाब ए इश्क़ गुज़र रहा है किस दौर से उसने समझाया था मुझे के, मैं बर्बाद हो जाऊँगा उसकी आँखों से निकलता, तो सुनता गौर से
Couplet 14
उस हार की ज़िल्लत अब तक तारी है ख़ुद ऐत्मादि कम है, पर जंग अभी जारी है
ज़िंदगी उम्मीदों के बोझ तले दब चुकी है ये उम्मीद के अब कोई उम्मीद हो, भारी है
Couplet 15
एक हाँथ पे दूसरा हाँथ रख ख़ुद को बहला लिया जब रूठा मैं ख़ुद से ख़ुद को फुसला लिया
Couplet 16
रंग भेद पे काफ़ी, सिर्फ़ यही प्रहार है आराध्य राम के, ये शिव शृंगार है ॥
ये वो ज़ीनत ए मोअज़्ज़िन ए क़ाब है निगाह ए इश्क़ से, बिलाल का निखार है ।।
 

THREE COUPLET SHAYARI
Couplet 1
बड़ा अजीब है, ख़ुद से अजनबी रहना रोज़ मुलाक़ात होना, हाल वही रहना ॥
ना हम, ना ग़म, ना तुम, ना मैं बस ख़्यालों ख़्वाबों में, कहीं रहना ॥
ख़ुद से मुलाक़ात करने आऊँगा ज़रूर तब तक मेरी ज़िंदगी, वहीं रहना ॥
Couplet 2
मेरी आँखें कर गवाह, मेरे गुनाहों का अज़ाब दो मेरी नफ़रत छोढ़ो, ज़र्रा इश्क़ का हिसाब दो ॥
मैं यूँ तो नहीं मचलता ज़माने की ज़ुल्म अंदोज़ी से तुमपे मर जाऊँगा, अपने ज़ुल्मो इश्क़ का निसाब दो ॥
मैं अनपढ़ हूँ तेरे इश्क़ में, कुल ज़िल्लत आँखों क़ुबूल जो तुमसे इश्क़ करने का तरीक़ा हो, ऐसी किताब दो ॥
Couplet 3
यूँ क़रीब ना होना, की दूर हो जाओ तुम हो दूर की स्याही, नूर हो जाओ ॥
हर जिस्म इश्क़मश्क़ फसाद  है मैं मासूम क्यों रहूँ, जब तुम कुसूर हो जाओ ॥
बेबसी मेरी देखी कहाँ है ज़माने ने अब तक जब मुझ पे हो असर, तुम फ़ितूर हो जाओ ॥
Couplet 4
एक हाँथ से दूसरा हाँथ पकड़ कर सोने की आदत है, लबों से मुस्कुरा, दिल ही दिल रोने की आदत है ।।
कभी अपने आप से पूछा नहीं के क्या है ख़ुशी तेरे लिए इनके, उनके, सबके लिए, नींद खोने की आदत है।।
जब ख़्वाब, हक़ीक़त से टकरा कर चूर चूर होता है मुश्किलों से मोती खींच, उन्हें पिरोने की आदत है ।।
Couplet 5
मेरे ग़मों से कह दो, अभी उम्मीद बाक़ी है मेरी सिसकती दुआओं की रसीद बाक़ी है ॥
रूह चीखी है मजलूमों की  दरिंदो के साये तले इमाम मेहंदी, इसा की आमद मज़ीद बाक़ी है ॥
वो जो मुझपे ज़ुल्म कर, मुझे बेबस लाचार समझते हैं सब्र करें, मीज़ानो क़यामत का जलाल बज़िद बाक़ी है ॥
Couplet 6
इश्को दिल पे ख़ंजर चलवाकर, मैंने मुस्कुराना सीखा है हर बार उनसे मायूस, ख़ुद ही से ख़ुद को मनाना सीखा है ॥
ज़मीदोश हुए अरमाँ मेरे, उनके दस्ते करम हमेशा कैसी कशिश है के, हर दर उनकी गली जाना सीखा है ॥
क़ुबूल किया के कई ख़ामियाँ हैं हम में, मुकम्मल अपनी औक़ात से ज़्यादा हमने, याराना सीखा है ॥
Couplet 7
अपने अंधेरे में, तेरे क़ुर्ब का नूर देखता हूँ अंधा हूँ जो अंदर नहीं, कहीं दूर देखता हूँ ॥
हुस्न ख़ुदा की, कुल तौसीफ है यही शह रग कभी, कभी ताब तूर देखता हूँ ॥
असले जन्नत क़ुर्ब दीद महबूब है क्यूँ वो नहर जन्नत, वो हूर देखता हूँ ॥