Ghazal 25 - मैंने अपने इश्क़ से, उसके इश्क़ का नाम सुना है
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Ghazal 25 - मैंने अपने इश्क़ से, उसके इश्क़ का नाम सुना है


मैंने अपने इश्क़ से, उसके इश्क़ का नाम सुना है कोई क्या करे मेरा हश्र, ऐसा अंजाम सुना है ॥
हसरत थी के कुछ नोकझोंक हमारी भी होती मैंने उनका प्यार भरा, रोज़ाना इल्ज़ाम सुना है ॥
मेरा तोल उसकी निगाहों में, पूरा मुफ़्त रहा जान से ज़्यादा क़ीमती, मैंने उसका दाम सुना है ॥
ख़ालिस हसरत थी के कुछ पल उसके साथ होते क़यामत है के, मैंने उनका दिन रात क़याम सुना है ॥
मेरी जुस्तजू, मेरे सीने में ही दफ़्न हो गयी उनकी आशिक़ी का हमने चर्चा आम सुना है ॥